नगरी अयोध्या में खुशियाँ (तर्ज: सारी सारी रातें तेरी)



तर्ज: सारी सारी रातें तेरी

नगरी अयोध्या में खुशियाँ तो छाई है
खुशियाँ तो छाई हर्षित लोग-लुगाई है
नगरी अयोध्या में...

रामअवतार भयो सब दौड़े-दौड़े आए हैं
श्याम वरण शोभा देख हर्षाए हैं
गगन में देव ठाड़े दुंदुभि बजाई है
नगरी अयोध्या में...

प्रीत के प्रतीक भाई भरत भी पधारे हैं
राम के अनुज भ्राता लखन तो प्यारे हैं
शत्रुघ्न परम दुलारे सबसे छोटे भाई हैं
नगरी अयोध्या में...

लाड़ले हैं कैकई के दशरथ दुलारे हैं
माता सुमित्रा के आँखों के तारे हैं
कौशल्या की लोरी, प्रभु मन भायी है
नगरी अयोध्या में...

मात-पिता ललन के लाड़ लड़ावे
ठुमके से पग जो धरते मनड़े को भावे
'शोभा' परिवार संग शरण में आई है
नगरी अयोध्या में...

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