तर्ज: थारी काया रो गुलाबी रंग
थारी कौड़ी-कौड़ी जोड़ी माया रह ज्यासी
रह ज्यासी, बेटा-पोता खा सी
तिकड़म का तूने जाल बिछाया
खुद को तूने चतुर बताया
चतुराई थारी रह ज्यासी
जद काल सिरहाने आ ज्यासी
थारी कौड़ी-कौड़ी...
झूठ कपट से खूब कमाया
सुन्दर-सुन्दर महल बणाया
झूठ-कपट थारे संग ज्यासी
जद काल सिरहाने आ ज्यासी
थारी कौड़ी-कौड़ी...
राम नाम की धुनी रमा ले
कृष्ण नाम 'शोभा' मन में बसा ले
हाथों से थोड़ा पुण्य कमा ले
पुण्य है थारो संग-साथी
जद काल सिरहाने आ ज्यासी
थारी कौड़ी-कौड़ी...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
आपको भजन कैसा लगा?