कन्हैया सुने न कोई बात (तर्ज: कन्हैया ले चल परली पार)


तर्ज: कन्हैया ले चल परली पार


राधा तेरा जादू-टोना
जप तप हम भी तो जानें
तीन लोक का नाथ दीवाना
तेरा कहना माने

तेरा दीवाना देवर बन मेरे
घर में रहे, न करे काम
दीवाने को काम सिखा दे
दोनों रास-रचो आठों याम


कन्हैया सुने न कोई बात
राधा तेरी सुनता है
मेरी करवा दो मुलाकात

मूक हुई है ऐसी वाणी
रूठ गयी जैसे वीणा-पाणी
ले के कन्हैया को संग आ जाओ
करूँ शिकवा हजारों बात
कन्हैया सुने न कोई...

जीवन जैसे थम सा गया है
रोम-रोम गम रम सा गया है
ले के कन्हैया को संग आ जाओ
गम की कहाँ बिसात
कन्हैया सुने न कोई...

मरुधर में हम खड़े हुए हैं
तपती धूप में पड़े हुए हैं
ले के कन्हैया को संग आओ
हो सावन की बरसात
कन्हैया सुने न कोई...

बीहड़ बन घनघोर अँधेरा
'शोभा' के जीवन का सबेरा
ले के कन्हैया संग आओ
हो इन्द्रधनुषी परभात
कन्हैया सुने न कोई...

कन्हैया सुनेगा सारी बात
तेरे संग टले न कोई बात
तेरे संग रास रचाने की रात
कन्हैया सुनेगा सारी बात

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