तर्ज: कैसे सफरी
म्हारा साँवरिया गिरधारी ने
ध्यावे वो मौज मनावे
ये दुनिया माया का फेरा
आना जाना है
तुझको ध्याना, तुझे मनाना
तुझको पाना है
जो भी इसको ध्यावे
उसका पल में सारे कष्ट मिटावे
जीवन में जब दुःख गहरावे
इसकी शरण में आ जा
हाथ पकड़ तुझे शरण में लेगा
तेरी बचावे लाजा
उसके सारे दुःख मिट ज्यावे
भागे-भागे शरण जो आवे
'शोभा' है प्रभु शरण तिहारी
दो भक्ति का प्याला
जीवन है काँटों का बाग
तू फूल खिलाने वाला
शूल, फूल बन ज्यावे
हम सब दया जो तेरी पावे
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