तर्ज: ओ फिरकीवाली
प्रभु मेरे हम बन जाएँ तेरे
तू हमको संभाल रे
तेरी दया बिना जीवन है भार रे
कोई तुझको सगुण बतावे
कोई बतावे तुम निर्गुण हो
मैं तो कहूँ प्रभु भक्ति में तुम हो
पाए जिसमें ये गुण हो
तुम हो सगुण, तुम ही हो निर्गुण
तुम भक्ति के वश में
विदुराणी के घर प्रभु आए
तो छिलके खिलाए
और केले हैं बेकार रे
राजा जनक की भक्ति देखो
संतों की संगति भायी है
देह का भान तनिक नहीं
सीता 'वैदेही' कहलाई है
ऐसी भक्ति हमें भी दे दो
दीनन के हितकारी
हम अज्ञानी हैं मूरख प्राणी
तेरी भक्ति ही आधार रे
तुम तो हो प्रभु दया की सरिता
हम प्यासे बंजारे हैं
भक्ति बिना ये मन है प्यासा
आये तेरे द्वारे हैं
खाली झोली लेकर आई
'शोभा' तेरे द्वारे
पूरण कर दो, इस झोली को भर दो
तुम बन जाओ दातार रे
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