श्याम तेरे चरणों की बलिहारी (तर्ज: उड़ उड़ रे म्हारा काला रे कागळा)


तर्ज: उड़ उड़ रे म्हारा काला रे कागळा


श्याम तेरे चरणों की बलिहारी
श्याम तेरे चरणों की बलिहारी
हम शरणं देवो रज थारी

तुझ में सारा विश्व समाया
तुझको ही मैंने अपना बनाया
मोर मुकुट बंशीधारी
हम शरणं देवो रज थारी

कितनों की तूने बिगड़ी बनाई
उन भक्तों की तुझको दुहाई
बिगड़ी बनावो बनवारी
हम शरणं देवो रज थारी

इन प्राणों के तुम आधारा
केवट बनकर देवो किनारा
पार लगावो नैय्या म्हारी
हम शरणं देवो रज थारी

जब भी तेरा धरें हम ध्याना
नयनों में तेरी सूरत हो श्यामा
मोर पाँख मस्तकधारी
हम शरणं देवो रज थारी

मन मंदिर में तुझे बिठाऊँ
हर पल तेरे नाम को गाऊँ
'शोभा' का दुःख मेटो दातारी
हम शरणं देवो रज थारी

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